তহবিল সংগ্রহ ১৫ সেপ্টেম্বর 2024 – ১লা অক্টোবর 2024 তহবিল সংগ্রহের বিষয়ে

माझी जन्मठेप (Mazi Janmathep)

माझी जन्मठेप (Mazi Janmathep)

Vinayak Damodar Savarkar
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भारतीय स्वातंत्रलढ्यातील योद्धे वीर सावरकर यांना दोनदा जन्मठेपेची म्हणजे पन्नास वर्षांची शिक्षा झाल्यावर त्यांची रवानगी अंदमानला केली गेली. तिथले त्यांचे जीवन म्हणजे मृत्यूशी झुंज होती; पण त्या झुंजीत मृत्यूचा पराभव झाला आणि सावकरांचा जय झाला. स्वातंत्र्यवीर सावरकरांच्या वीर रसाने ओथंबलेल्या या चरित्रामध्ये अनेक रोमहर्षक पर्वे आहेत. त्यापैकी अंदमान पर्व हे अत्यंत रौद्र आणि भयानक पर्व आहे. त्याची रोमांचकारी कथा ‘माझी जन्मठेप’ या आत्मकथेत सावरकरांनी सांगितली आहे. आचार्य अत्रे यांनी ती संक्षिप्त स्वरूपात सादर केली आहे.
ক্যাটাগোরিগুলো:
ভাষা:
marathi
ফাইল:
PDF, 2.32 MB
IPFS:
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